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नवजात शिशु को स्वस्थ बनाने के लिए किए जाने वाले कार्यजब शिशु मां के गर्भ में होता है तब उसे सभी प्रकार का पोषण मां के गर्भनाल से मिलता है ।उसे किसी भी प्रकार के अन्य पोषण की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।किंतु जब बच्चा गर्भ से बाहर आता है तो उसके स्वस्थ रखने के लिए अनेक प्रकार के उपाय, अनेक प्रकार के पोषण संबंधी कार्यों की आवश्यकता पड़ती है। नवजात शिशु को स्वस्थ बनाने के लिए कौन-कौन से कार्य किए जाते हैं इसकी जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है यह कार्य निम्नलिखित है——
1: मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार होता है ।शुरुआत के 6 महीने तक केवल मां के दूध पर ही निर्भर रहता है। मां के दूध के माध्यम से उसके पोषण संबंधित सभी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। अतः शुरुआत के 6 महीने तक बच्चों को भोजन के रूप में केवल मां का दूध ही दिया जाना सर्वोत्तम होता है। यदि किसी कारण बस मां का दूध बच्चों को नहीं दिया जाता है तो इस अवस्था में बच्चों को गाय के दूध में कुछ मात्रा पानी की मिलकर दी जा सकती है ।अथवा भैंस के दूध में दूध के बराबर पानी मिलाकर उसे दिया जा सकता है ।इसके अलावा फार्मूला दूध भी बच्चे को दिया जा सकता है। दूध के अलावा और किसी भी चीज का सेवन बच्चों को नहीं कराया जाना चाहिए। पानी भी नहीं।
2: मसाज शिशु के पोषण के लिए सर्वोत्तम कार्य माना जाता है। मसाज के माध्यम से शिशु की हड्डियों में तथा मांसपेशियों में मजबूती लाई जाती है। एक ही स्थिति में बिस्तर पर लेटे हुए बच्चों के शरीर में दर्द अकड़न ऐंठन होने लगता है। इन सभी चीजों से छुटकारा पाने के लिए बच्चों का मसाज अत्यंत आवश्यक है। अतः नवजात शिशु का समय समय पर मसाज किया जाना आवश्यक होता है। मसाज करने से बच्चे तंदुरुस्त होते ही हैं, इसके अलावा उनके शरीर को बहुत आराम भी मिलता है। उनका शरीर हल्का महसूस होता है ।जिसके कारण कम रोते हैं ,तथा उन्हें नींद भी अच्छे आती है।
3: नींद भी नवजात शिशु के पोषण का एक अभिन्न अंग होता है। जन्म के पश्चात बच्चा 24 घंटे में कम से कम 20 घंटे सोता है। इसके अलावा जगने का काम सिर्फ दूध पीने, मल त्याग करने तथा पेशाब लगने पर ही करता है। बच्चा जितना अधिक सोता है ,उसके बुद्धि का विकास उतने ही तीव्र गति से होता है। इसके अलावा नींद लेने से उसकी मांसपेशियों को आराम मिलता है ,तथा मांसपेशियां मजबूत होती हैं ।अतः कहा जा सकता है, कि नींद के द्वारा शरीर के बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार के के स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। बच्चों का पेट अगर अच्छे तरीके से भरा हो और उसे अच्छे तरीके से मसाज किया गया हो ,तो उसे नींद पर्याप्त मात्रा में आती है, जो उसके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद होता है।
बच्चों दूध हर 2 घंटे पर उसे जगा कर पिलाते रहना चाहिए। जिससे उसकी पोषण संबंधी आवश्यकता पूरी होती है ।बच्चों का मसाज दिन भर में कम से कम आठ बार और अधिक से अधिक 12 बार किया जाना चाहिए। जिससे की मजबूती हो सके। मसाज के लिए मौसम के अनुसार तेल का प्रयोग करना चाहिए ठंड के मौसम में गर्म तासीर वाले तेल जैसे – जैतून का तेल, सरसों का तेल और गर्मी के मौसम में ठंडी तासीर वाली तेल जैसे -नारियल का तेल, हिमालय तेल इत्यादि ।इसके अलावा नींद बच्चों की कम से कम 20 घंटे की ओर से पूरी होनी चाहिए ।नींद ना आने की स्थिति में उनके कारण जानने का प्रयास करना चाहिए, और जिस कारण से उसे नींद कम आती हो उसे कारण को दूर करने का प्रयास करें। जिससे बच्चे आराम से 20 घंटे सो सके। इन सभी प्रक्रियाओं को करने से बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा होता है, और शिशु अत्यंत स्वस्थ होता है।
धन्यवाद।