बच्चों के 6 महीने के होने पर उन्हें दिए जाने वाले मीठे  पदार्थ का बच्चों के स्वस्थ कर पाने वाला प्रभाव–

बच्चा 6 महीने का हो जाता है। दूध के अलावा ऊपर से भोज्य पदार्थ दिया जाना शुरू कर दिया जाता है ।यदि बच्चा कमजोर होता है ,तब उसे अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लोग देना पसंद करते हैं ।ताकि उनका बच्चा स्वस्थ दिखने लगे। कार्बोहाइड्रेट के रूप में चीनी का प्रयोग मुख्यतः करने लगते हैं ।त्वरित रूप से चीनी बहुत हानिकारक प्रभाव नहीं डालती, लेकिन लंबे समय के पश्चात   बच्चों के स्वास्थ्य पर अत्यंत ही गहरा प्रभाव छोड़ती है ।  अतः जितना हो सके बच्चों को मीठे से दूर ही रखना चाहिए शुरुआत के दिनों में बच्चों को मीठे के साथ-साथ नमक का भी सेवन नहीं कराना चाहिए। लोग सोचते हैं कि अगर मीठा और नमक ना डाला जाए तो बच्चों को स्वाद कैसे मिलेगा ?लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता बच्चों को क्या पता नमक क्या होता है? और चीनी क्या होता है ?इसके बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं होता है। उन्हें जैसा भोजन दिया जाएगा वैसे ही अपने स्वाद कालिकाओं को विकसित करते हैं। मीठा का ज्यादा प्रयोग भविष्य के लिए हानिकारक होता है।  अतः मीठा जितना कम हो सके कम मात्रा में ही दिया जाना चाहिए ।मीठे के रुप में चीनी का सेवन न कर कर उन्हें अन्य स्रोत से प्राप्त  मीठे का सेवन कराया जा सकता है । जैसे –गुड, मिश्री  इत्यादि। मीठे के सेवन से बच्चों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में लिख रही हूं । यदि माता-पिता को जानकारी हो जाती है और बच्चों को नहीं सेवन कराते हैं ,तो बच्चों के स्वास्थ्य के भविष्य के लिए उचित सकता है। 

1:  मोटापा–

अधिक मात्रा में  मीठे का सेवन करने से बच्चों में भविष्य में चलकर मोटापा जैसे बीमारी हो जाती है। मोटापा बच्चों के लिए हानिकारक है। मोटापा का कारण और अनेक प्रकार की बीमारी बच्चों को हो सकती है ।जैसे– मधुमेह, हृदय संबंधी रोग ,इत्यादि। मोटापा के कारण थकान महसूस होती है।  चीनी का अधिक सेवन करने से बच्चों के ग्रंथियों  से हारमोंस का श्रावण बढ जाता है  । जिसके कारण बच्चों में कितने प्रकार के मानसिक परिवर्तन दिखाई देते हैं ।थकान के कारण बच्चों को किसी भी कार्य में मन नहीं लगता और वह आलसी होते जाते हैं। बचपन का मोटापा

चीनी की अधिक खपत और मोटापे के बीच संबंध अच्छी तरह से स्थापित है। हमारे समर्पित ब्लॉग, ” अधिक वजन वाले बच्चों के लिए सुरक्षित वजन घटाने ” को पढ़कर बच्चों में वजन प्रबंधन के बारे में अधिक जानें। 

2:  टाइप 2 मधुमेह

जब बच्चों को अधिक जीवनी का सेवन कराया जाता है तो उन्हें मधुमेह रोग होने का खतरा होता है ।अधिक चीनी के सेवन से इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है और टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। 

3:  हृदय रोग

उच्च चीनी वाला आहार ट्राइग्लिसराइड के स्तर और रक्तचाप को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। 

4:  फैटी लिवर रोग

अत्यधिक चीनी का सेवन गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग का कारण बन सकता है। 

चीनी का अधिक सेवन: अधिक चीनी सेवन के लक्षण

चीनी के अधिक सेवन के लक्षणों को पहचानना संभावित समस्याओं की शुरुआती पहचान करने के लिए ज़रूरी है। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं: 

1:   वजन बढ़ना

अत्यधिक चीनी के सेवन से कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अस्वस्थ वजन बढ़ता है ।

2:   बार-बार प्यास लगना और पेशाब आना

उच्च शर्करा स्तर के कारण प्यास बढ़ सकती है और बार-बार शौचालय जाना पड़ सकता है। 

3:   थकान

चीनी के कारण होने वाली ऊर्जा की कमी से बच्चों में थकान और सुस्ती आ सकती है। 

4:   दंत समस्याएं

चीनी बच्चों में दांतों की सड़न और कैविटी का एक प्रमुख कारण है।   

5:   कमज़ोर एकाग्रता

रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव संज्ञानात्मक कार्य और ध्यान को ख़राब कर सकता है। 

भोजन के बदलाव में परिवार की भूमिका–

बच्चे की खाने की आदतों और भोजन के साथ उसके रिश्ते को आकार देने में परिवार की अहम भूमिका होती है। माता-पिता और देखभाल करने वाले एक सहायक और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक माहौल बना सकते हैं जो सकारात्मक भोजन विकल्पों को बढ़ावा देता है। स्वस्थ खाने की आदतों को बढ़ावा देने में परिवार को शामिल करने के लिए यहाँ कुछ रणनीतियाँ दी गई हैं: 

  • 1: उदाहरण के द्वारा नेतृत्व

          बच्चे अक्सर अपने माता-पिता के व्यवहार की नकल करते हैं, जिसमें उनकी खाने की आदतें भी शामिल हैं। फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से बने संतुलित आहार का सेवन करके स्वस्थ भोजन के विकल्पों का अनुकरण करें। 

  • 2:  भोजन योजना में बच्चों को शामिल करें

          भोजन की योजना बनाने और किराने की खरीदारी में बच्चों को शामिल करें। इससे उन्हें अपने भोजन के विकल्पों पर स्वामित्व की भावना मिलती है और स्वस्थ विकल्पों को प्रोत्साहित किया जाता है। 

  • 3:  साथ मिलकर खाना पकाएं

          परिवार के साथ मिलकर खाना पकाना एक मज़ेदार और शिक्षाप्रद गतिविधि हो सकती है। इससे माता-पिता को सामग्री और हिस्से के आकार को नियंत्रित करने की सुविधा मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भोजन पौष्टिक और संतुलित है। 

  • 4:  प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें

          घर में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और मीठे व्यंजनों का सेवन कम करें। जब भी संभव हो, संपूर्ण, प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें। 

  • 5:  जल उपभोग को प्रोत्साहित करें

          पानी को परिवार के लिए मुख्य पेय पदार्थ बनाएं। मीठे पेय और फलों के रस का सेवन सीमित करें, क्योंकि ये अनावश्यक कैलोरी और चीनी प्रदान करते हैं।